प्राचार्य
प्रिंसिपल संदेश
बच्चे किसी भी राष्ट्र की असली संपत्ति होते हैं। समय की मांग है कि उनके मासूम चेहरों पर मुस्कान लाई जाए और उन्हें भविष्य का जिम्मेदार नागरिक बनाया जाए।
यदि बच्चों को समृद्धि और प्रगति के लिए अनुकूल वातावरण मिले तो राष्ट्र गौरव के शिखर पर पहुंच सकता है। इसलिए उनके सपनों को साकार करने की जिम्मेदारी शिक्षक समुदाय की अधिक है।
हालाँकि हम इस विचार से सहमत हैं कि घर पहली पाठशाला है, यानी बच्चे जीवन का पहला पाठ माँ के नक्शेकदम पर सीखते हैं, लेकिन स्कूल दूसरा घर होना चाहिए, जहाँ बच्चे के सर्वांगीण विकास का ध्यान रखा जाता है।
वर्तमान परिदृश्य में जब समाज भ्रष्टाचार, संकीर्ण मानसिकता, कन्या भ्रूण हत्या और ऐसी अन्य बुराइयों से जूझ रहा है। यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि शिक्षक इन बाधाओं के बावजूद आगे आएं और इस युवा पीढ़ी को सही दिशा में ले जाएं। इस कठिन कार्य को सरल बनाया जा सके, देश भी यही चाहता है। आइए हम सब मिलकर समाज की उम्मीदों पर खरा उतरें और इस पीढ़ी को शिक्षित और जिम्मेदार नागरिक बनाएं।
मंगल कामनाओं के साथ!
प्रधानाचार्य